पाराशरी योग

4 August, 2017
पाराशरी योग
पाराशरी योग

वैदिक ज्योतिष के महर्षि पाराशरी के योगों की बात करे तो उनको बताया नियम यह भी है कि दूसरे और द्वादशे भाव के स्वामी तटस्थ होते है वो अपना फल दूसरी राशि के अनुसार करते है मगर सूर्य और चन्द्रमा एक ही राशि के स्वामी है तो वो फल अपना बल के अनुसार देते है और ग्रह जो 2 और 12 के स्वामी होते है वो दूसरी राशि के अनुसार फल देते है जैसे मेष लग्न में शुक्र धन और सप्तम स्थान का स्वामी होता है तो वो सप्तम स्थान के स्वामी होने का फल देगा , और मेष लग्न में गुरु जो कि 12 और 9 का स्वामी होता है तो वो मुख्य 9 भाव का फल देता है , त्रिकोण के सम्बद में महऋषि पराशर का नियम यही है त्रिकोण हमेसा शुभ फल देते है शुभ फल वो सिर्फ धन के सम्बद में होता है चाहे वो पापी ग्रह मंगल और शनि भी क्यों ना हो जैसे वृष लग्न में शनि और सिंह लग्न में मंगल , एक नियम यही है कि 3_6_11 भावो के स्वामी चाहे शुभ हो या असुभ ग्रह पाप फल ही देते है इस नियम को हम समझे तो कोई भी ग्रह कुंडली मे शुभ हो या पाप अपनी राशि का हो तो शुभ फल करता है चाहे वो कहि पर भी हो , रही बात अब , 3_6_11 भाव इनको आर्थिक स्तिथि से देखे तो यदि यह भाव बलबान हो तो , स्वास्थ्य के लिए तो ठीक होते है पर आर्थिक स्तिथि के लिए नही , यह भाव यदि बलहीन हो तो , आर्थिक स्तिथि के लिए , शुभ और स्वास्थ्य के लिए बुरे होते है , वैसे इनको उपचय स्थान भी कहते है इनकी दशा स्वास्थ्य के लिए कष्ट दायक हो शक्ति है पर आय के लिए नही , एक नियम यह भी है कि, जो स्थान जिस स्थान से 12 पड़ता है उसकी हानि होती है जैसे लग्न शरीर है तो 12 भाव शरीर के नाश स्थान मोक्ष का है , लग्न से धन आदि भी देखा जाता है इस लिए 12 स्थान व्यय का भी है 9 स्थान भाग्य का है उससे 12 स्थान मतलब 8 स्थान भाग्य की हानि , दरिद्रता , गरीबी , आदि का है |


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